दिल जब याद उन दिनों को करता है
बातें बार बार करता है
**पहला SESSIONAL **
पहला SESSIONAL ,EXAM नहीं था
था वो कोई आदमखोर
हम भी कहाँ भागने वाले
यूद्ध छेड़ दिया घनघोर
सारी रात डटे रहे थे हम
लेकर कलम रूपी औजार
कुछ तो मथुरा दास बन गए
कुछ सुनील सन्नी जैकी श्राफ
** कुछ बातें कुछ शर्तेँ **
पूछो न , क्योँ हम लड़ते थे
वो , बात बात पर अड़ते थे
कृष्ण जन्मभूमि असली है या
नकली , फैसला रात भर में करते थे
जोश जोश में होश नहीं था
होश नहीं था दिल क्योँ फिर बेहोश नहीं था
शर्त लगी , वो अमृतसर जाने की
मत पूछो , क्योँ ? पैदल जाने की
दो खेमोँ में लगी शर्त थी
शब आधी , गीली पीली हरी शर्त थी
चल पड़े सभी , नहीं किसी ने भी किया इनकार
सबने सोचा हमसे पहले , उतर जाएगा इसका बुखार
**<बर्थ डे >**
किसी के बर्थ डे पे किसी को पीटना
था ये होस्टल का अपना रीत
रीत-वीत सब हवा हो जाती
वो ज्योँहि दिखता पवन मीत
**<नाम>**
सबके सब जाने अनजाने
नए नए नामों से जाने जाते
लाल बादशाह , नेताजी चडड्डी
तो कुछ आए गए निकले फिसड्ढी
**<होली >**
बेरंग पानी से खेल खेलकर
क्या रंग था निखड़ा होली का
दिल रीता , होस्टल रीता
पर , रंग न रीता होली का !
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