हमारी सांस में उतरी खुशी नहीं होती
भरी निगाह में जो डबडबाती लगती है
दिलों की क्यों वो कभी रौशनी नहीं होती
सभी का होता है अपना सफर जमाने में
हरेक धार तो फिर भी नदी नहीं होती
शहर को सिर्फ मुझी से शिकायतें हैं बहुत
मगर बताइये , किसमे कमी नहीं होती
ये और बात है किसका नसीब कैसा है
जहां में वर्ना कहाँ बेबसी नहीं होती
कभी न देखी सुनी , वो भी जिंदगी है यहाँ
जो सामने है , वही जिंदगी नहीं होती !
एक हकीकत यहां भी
ReplyDeletehttp://rajey.blogspot.com/