Tuesday, September 7, 2010

हौसला भी उड़ान देता है :- अशोक 'अंजुम '

कौन सीरत पे ध्यान देता है
आईना जब बयाँ देता है

मेरा किरदार इनदिनों ज़माने में
बारहा इम्तिहान देता है

पंख अपनी ज़गह पे वाजिब है
हौसला भी उड़ान देता है

जितने  मगरूर हुए जाते हैं
मौला उतनी ढलान देता है

बीती बातों को भुलाकर वो
आज फिर से जुबां देता है

तेरे बदले में किस तरह ले लूँ
वो तो सारा जहां देता है !

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